क्या भीड़ देखकर तय होंगे कानून ? किसानों ने अपनी मांगों को लेकर किया मार्च

भारत में भीड़ दिखाकर कुछ भी मनवा लो का दौर चल पड़ा है । हज़ारों की संख्या में खड़े हो जाओ और अपनी मांगे पूरी करवा लो ।
बुधवार 5 सितम्बर 2018, भारतीय जनता पार्टी इस समय जमावड़ों की बाते सुनने और उसका हल निकलने में लगी है । 2019 के चुनाव के चलते कुछ ही दिनों पहले दलितों ने कई दिनों तक चले रैली का हल निकला तो सवर्णों ने रैली निकालनी शुरू कर दी और जब रैली से बात मनवाई जा सकती है तो फिर किसान क्यों पीछे रहे, उन्होंने भी रैली निकाल दी ।
अब सवाल ये उठता है कि किसी वयक्ति विशेष को लेकर क्यों बदला जाता है नियम ? सभी नागरिकों को जीने जा सही माहौल मिले बजाय इसके चुनाव को जीतने के लिए भीड़ को प्रसन्न किया जा रहा है । एक तरफ गवर्नमेंट सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों का वेतन दिन पर दिन बढ़ाया जा रहा है भत्ते बनते जा रहें हैं दूसरी तरफ प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले, किसान, मज़दूर इत्यादि दिन रात काम करके भी पाने परिवार वालों के लिए सिर्फ रोटी ही जुटा ले यही बहुत है ।